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नीलकंठ

>> Sunday 23 January 2011


संवादों का आज 
मंथन कर लिया 
उसमें से निकला 
हलाहल पी लिया .
तुमने नीलकंठ तो  देखा है न ? 
अब मुझे लोग नील कंठ कहते हैं .



85 comments:

रचना दीक्षित Sun Jan 23, 04:46:00 pm  

भावनाओं को बहुत खूबसूरती से पिरोया है

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Sun Jan 23, 04:54:00 pm  

सम्वादों के मंथन यदि स्वस्थ मंथन न हो तो सदा हलाहल ही निकलता है उससे...छोटी किंतु गहरे अर्थों वाली कविता,संगीता दी!

Parul kanani Sun Jan 23, 04:57:00 pm  

sangeeta ji gagar mein sagar bhar diya aapne!

mridula pradhan Sun Jan 23, 05:38:00 pm  

gazab ka likhti hain aap.wah.

shikha varshney Sun Jan 23, 06:13:00 pm  

ओह तो बन ही गईं नीलकंठ...
४ पंक्तियों में सागर भर दिया भावनाओं का.
बहुत सुन्दर.

vandana gupta Sun Jan 23, 06:16:00 pm  

संवादों का आज
मंथन कर लिया
उसमें से निकला
हलाहल पी लिया .
तुमने नीलकंठ तो देखा है न ?
अब मुझे लोग नील कंठ कहते हैं .

सब कुछ तो आपने कह दिया अब कहने को क्या बचा? एक बेहद गहन और उत्तम अभिव्यक्ति।

प्रवीण पाण्डेय Sun Jan 23, 06:37:00 pm  

हर मंथन में हलाहल निकलता है।

JAGDISH BALI Sun Jan 23, 06:39:00 pm  

A storehouse of meaning in brief. GooooD. Visit my blog. U have not come since long.

JAGDISH BALI Sun Jan 23, 06:39:00 pm  

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Kunwar Kusumesh Sun Jan 23, 07:03:00 pm  

भावमय अच्छी प्रस्तुति.

Arvind Jangid Sun Jan 23, 07:36:00 pm  

ओह ! गहन भाव, आभार

रश्मि प्रभा... Sun Jan 23, 07:36:00 pm  

muk dekh rahi neel kanth
awruddh gala mera bhi kam neela nahin sakhe

मनोज कुमार Sun Jan 23, 07:48:00 pm  

मंथन से निकले विष को पीने वाला दूसरों की भलाई ही करता है।

Anonymous Sun Jan 23, 08:15:00 pm  

सुन्दर रचना!
जो जहर पीता है वो देव और
जो गरल पान करता है
वह महादेव कहलाता है!
नीलकण्ठ इसका प्रमाण दे रहा है!

विशाल Sun Jan 23, 08:18:00 pm  

गज़ब की अभिव्यक्ति.आपकी कलम को सलाम.

इस्मत ज़ैदी Sun Jan 23, 08:32:00 pm  

shaayad ye har bhale aadamee kee niyati hai ,halaahal pee kar neelkanth ban jaana aur samvadon kaa halahal to antaraatma tak pahunchta hai
badhiya prastuti !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Sun Jan 23, 09:03:00 pm  

गूढ ! असली नीलकंठ तो कहीं तान-निंद्रा सो रहा है!

nilesh mathur Sun Jan 23, 10:29:00 pm  

वाह! बेहतरीन अभिव्यक्ति, बहुत ही खूबसूरत!

डॉ. मोनिका शर्मा Sun Jan 23, 11:05:00 pm  

तुमने नीलकंठ तो देखा है ना...... बहुत सुंदर संगीता जी ....

अरुण चन्द्र रॉय Mon Jan 24, 06:27:00 am  

गहरे अर्थ वाली कविता... नीलकंठ को पुनः परिभाषित कर दिया..

वाणी गीत Mon Jan 24, 07:32:00 am  

पी लिया हलाहल एक घूँट में पूरा और नीलकंठ कहलाये ..
की जहर दूसरों तक ना पहुंचे ...
बहुत भावपूर्ण !

Sadhana Vaid Mon Jan 24, 11:13:00 am  

बहुत प्यारी क्षणिका है ! स्वयं को नीलकंठ बना कर आपने औरों के जीवन को कितना सुधामय कर दिया इसे यदि कोई समझ पाए तो आपका नीलकंठ बनना
सार्थक हो जाता है ! बहुत सुन्दर !

Anonymous Mon Jan 24, 12:25:00 pm  

वाह संगीता जी....कितने कम शब्दों में कितना दर्द बयां कर दिया है......बेहतरीन|

सदा Mon Jan 24, 12:50:00 pm  

बहुत खूब कहा है आपने इन पंक्तियों में ।

दिनेश शर्मा Mon Jan 24, 06:36:00 pm  

भावपूर्ण रचना।

PRIYANKA RATHORE Mon Jan 24, 10:25:00 pm  

बेहतरीन अभिव्यक्ति, बहुत ही खूबसूरत!

ज्ञानचंद मर्मज्ञ Tue Jan 25, 10:03:00 am  

संवेदना के गहरे भाव !

रेखा श्रीवास्तव Tue Jan 25, 06:54:00 pm  

सिर्फ चार लाइनों में तुमने पूरा का पूरा दर्शन उतर दिया. बहुत गहरी बात कही है. दिल को छू लेने के लिए चंद शब्द ही बहुत होते हैं.

Dr Varsha Singh Tue Jan 25, 10:00:00 pm  

....मार्मिक, हृदयस्पर्शी पंक्तियां हैं। अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।

उपेन्द्र नाथ Tue Jan 25, 11:41:00 pm  

संगीता जी , भावों को बहुत ही बखूबी अभिव्यक्ति किया है आपने .... सुंदर प्रस्तुति.

ज्योति सिंह Wed Jan 26, 01:19:00 am  

sundar prastuti ,bemisaal ,gantantra divas ki badhai .

ZEAL Wed Jan 26, 09:30:00 am  

गहरे भाव !

Coral Wed Jan 26, 01:11:00 pm  

क्या बात है ...बहुत ही सुन्दर

आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं!

Sawai Singh Rajpurohit Wed Jan 26, 01:45:00 pm  

गणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामनायें.

ManPreet Kaur Wed Jan 26, 03:25:00 pm  

very nice..Happy Republic Day..गणतंत्र िदवस की हार्दिक बधाई..

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शोभना चौरे Wed Jan 26, 05:50:00 pm  

बहुत गहरी अनुभूति लिए सुन्दर क्षणिका |

kshama Wed Jan 26, 07:03:00 pm  

Nihayat sundar alfaaz!
Gantantr diwaskee dheron shubhkamnayen!

संजय भास्‍कर Wed Jan 26, 08:14:00 pm  

गहरे अर्थ वाली कविता..
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

Happy Republic Day.........Jai HIND

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Thu Jan 27, 07:31:00 pm  

सही कहा आपने...जो साज़ पे गुज़रती है, वो कौन देख पाता है...उम्दा रचना.

Dr Xitija Singh Fri Jan 28, 11:06:00 am  

कम शब्दों में गहरी बात कैसे कहते है ये कोई आपसे सीखे .... निशब्द हूँ मैं .... बहुत बहुत और बहुत खूबसूरत

पी.एस .भाकुनी Fri Jan 28, 04:01:00 pm  

तुमने नीलकंठ तो देखा है ना...... बहुत सुंदर

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति Fri Jan 28, 09:20:00 pm  

वाह आपने तो एक तरह के त्याग की बात कर दी संवादों से निकले हलाहल ... वाह .. नीलकंठ का त्याग .. बहुत सुन्दर रचना ...

daanish Sat Jan 29, 08:04:00 am  

km shabdoN meiN
bahut prabhaavshali baat
waah !!

POOJA... Sat Jan 29, 02:35:00 pm  

"नीलकंठ वरदानी हमको पार करो तो जाने..."
हमारे यहाँ मान्यता है की नीलकंठ को देख ये बोलने से उसे गुण आपके अन्दर आ जाते हैं और और वो आपको अच्छा आशीर्वाद देते हैं क्योंकि वो ईश्वर के सबसे करीब माने जाते हैं... अधिकतर ये बचपन में ही बच्चे को सिखाई जाते है... आपकी रचना पढ़ ये पंक्ति याद आ गयी... सच कहूँ तो आप भी तो नीलकंठ ही हैं... जिसके बहुत से गुण हमें अपने आप में उतारने हैं...

Suman Sat Jan 29, 07:38:00 pm  

chotisi rachna par bahut arthpurn lagi.......bahut sunder.

संतोष त्रिवेदी Sun Jan 30, 12:47:00 pm  

नीलकंठ हो लिए आप तो,विष हम सबके जिम्मे क्या?
शंकरजी के संरक्षण में ,कोई कष्ट नहीं है क्या ?

छोटी रचना में भाव गहरा है !

दिगम्बर नासवा Sun Jan 30, 03:19:00 pm  

चाँद शब्दों में लिखी गहरी रचना ... सच है कड़वे शब्दों को पीने वाला भी तो नील कंठ ही है ...

वीना श्रीवास्तव Sun Jan 30, 09:19:00 pm  

बहुत कमाल की हैं ये चंद पंक्तियां....छोटी मगर सार लिए

Shabad shabad Mon Jan 31, 05:16:00 am  

आपकी कलम को सलाम

Amrita Tanmay Mon Jan 31, 01:45:00 pm  

हलाहल को पी कर ...सबमें अमृत बाँट दिया .आपका काम कुछ ऐसा ही है ... सुन्दर रचना .

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Mon Jan 31, 06:53:00 pm  

शब्दों का हलाहल पीना ही तो सबसे मुश्किल काम है !

Ravi Rajbhar Tue Feb 01, 01:19:00 pm  

in chhah lino me aapne pura bhaw hi bhar diya..!
badhai

musaffir Wed Feb 02, 04:50:00 pm  

chhoti magar behad umda. achchha i rachna.

pragya Sat Feb 05, 11:27:00 am  

अफसोस कि आजकल नीलकंठ बहुत कम दिखते हैं, सच है हलाहल पीना आसान काम नहीं....

Saumya Mon Feb 07, 11:17:00 pm  

ohh...very deep and intense!

palash Thu Feb 10, 12:05:00 am  

आप कितनी खूबसुरती से इतनी गहरी बातें चंद शब्दों मे कह देती है । वाकई अनुसरणीय है आपकी रचना ।

मुकेश कुमार सिन्हा Fri Feb 11, 01:36:00 pm  

bahut dino se sangeeta di aap dikh nahi rahi thin...:)

Patali-The-Village Sat Feb 19, 09:14:00 am  

भावनाओं को बहुत खूबसूरती से पिरोया है|

Ankur Jain Sat Feb 19, 11:41:00 am  

behad sundar..............

Arvind Mishra Sat Feb 19, 12:19:00 pm  

नीलकंठ तो बाबा बम भोले का भी नाम है

लोकेन्द्र सिंह Wed Feb 23, 12:35:00 am  

संगीता दीदी,,, नीलकंठ देखा है....

संतोष पाण्डेय Wed Feb 23, 02:10:00 am  

बेहतरीन अभिव्यक्ति.गहरे भाव.

PRIYANKA RATHORE Wed Feb 23, 10:39:00 pm  

sangeeta ji aapne meri rachnaoo ko charcha manch pr kayi baar jgah di hai...lekin mai charchamanch site pr aapko aabhar vyakt nahi kr payi...pta nahi kyo jab bhi mai charchamanch ki site kholne ki koshish krti hu...site khul hi nahi pati..is samasya ka smadhan krne ki koshish kr rhi hu...lekin fir bhi agar charchamanch pr mera aabhar na aaye to site ki samasya hi hogi...
dhanybad

VIJAY KUMAR VERMA Thu Feb 24, 09:50:00 pm  

man ke gahare bhawon ko baya kartee bahut hee sundar rachna

krati bajpai Fri Feb 25, 10:30:00 am  

namaste,
aap jese guroojano ke kadamo par chalte huye blog parivaar main kadam rakha hai , sayoug aur utsahvardhan ki asha karoongi.
krati-fourthpillar.blogspot.com

मेरे भाव Fri Feb 25, 02:38:00 pm  

आज समाज को ऐसे ही नीलकंठ की जरुरत है. अर्थभरी रचना

Coral Tue Mar 08, 11:09:00 am  

संगीताजी, पुस्तक विमोचन के लिए हार्दिक बधाई !

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Tue Mar 08, 02:39:00 pm  

संगीता जी, पुस्तक प्रकाशित होने के अवसर पर ढेरों बधाइयाँ !

Urmi Thu Mar 10, 07:14:00 pm  

मैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी!
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बढ़िया लगा!

Anonymous Sun Mar 13, 02:03:00 pm  

sanshipt aur saargarbhit ,,bahut khub!

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) Fri Apr 01, 07:03:00 pm  

आप नील कंठ बनकर इतनी गहरी बात कह देते है.. अब और क्या कहे?

Surendra shukla" Bhramar"5 Thu May 05, 03:46:00 pm  

आदरणीया संगीता जी इसी बहाने आप ने हमारे न दिखने वाले नीलकंठ को भी दिखा दिया जिसे हम केवल दशहरा में देखने को खोजते थे -और एक गंभीर बात भी कह दी ये सच है अगर पचा सको इस हलाहल को तो नीलकंठ से तो हो ही जाओ ..

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

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