कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
13 comments:
अच्छा प्रयास है, बधाई
सादर
..... बेहतरीन रचना "शार्ट एंड स्वीट" !!!!
chalo aahat to baki hai kam se kam...nice one di
उम्मीद के रोशनदान बंद करने से आँख रोती ही है जो आपकी रचना की पिक. दिखा रही है..अब इस से आगे क्या कहू...बाकि ये आँखे कहे देती है.
nice poem.......
बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
Har aahat pe lagta hai,ummeed pooree honewalee hai...aah!
mujhe ye moti chunne hai..
bahut hi prabhavi!!
उमीद के रोशन दान पर लगा दिये हैं पहरे----- वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
gagar men Sagar.
Bahut Sundar
बहुत ही सुंदर और अर्थपूर्ण कविता |
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