कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
वाह संगीता जी वाह आखिर हमें पता चल ही गया क्या ख्वाब बुना था पिछली पोस्ट में. मैनें सोचा था की कोई वेलेंटाइन ख्वाब होगा पर ये तो और भी अच्छा है और हाँ पारिजात को हिंदी में हर श्रिंगार कहते हैं नारंगी रंग की डंठल और सफ़ेद पंखुड़ी होती है और बहुत ही अच्छी सुगंध होती है होली पर इसकी डंठल से केसरिया रंग बनता है
बहुत सुन्दर कविता....संगीता जी...सुबह सुबह रास्ते के किनारे,जमीन पर बिछे पारिजात की छोटी सी चादर पर रोज ही नज़र पड़ जाती है...अब आपकी कविता याद आ जाया करेगी.. मेरा email id है rashmeeravija26@gmail.com कृपया कुछ नया पोस्ट करें तो इत्तला कर दें...कई बार अच्छी रचनाएं पढने में बहुत देर हो जाती है..इस बार भी हो गयी...सॉरी
20 comments:
Bahut khoob ................
बहुत अच्छी रचना...लेकिन मुझे पारिजात का मतलब नहीं पता...लेकिन मैं इसका मतलब फूलो से लगा कर मान रही हु..और यही सोच रख कर जवाब दे रही हु.
बहुत खूबसूरत...आगे भी इंतजार रहेगा.
वाह! तस्वीर भी!! वाह! वाह!~!
दी !पारिजात मतलब ? :(
वाह संगीता जी वाह आखिर हमें पता चल ही गया क्या ख्वाब बुना था पिछली पोस्ट में. मैनें सोचा था की कोई वेलेंटाइन ख्वाब होगा पर ये तो और भी अच्छा है और हाँ पारिजात को हिंदी में हर श्रिंगार कहते हैं नारंगी रंग की डंठल और सफ़ेद पंखुड़ी होती है और बहुत ही अच्छी सुगंध होती है होली पर इसकी डंठल से केसरिया रंग बनता है
बहुत सुन्दर रचना मुझे भी परिजात का अर्थ नही मालूम मगर मै भी फूल कलियों से ही इसे ले रही हूँ । बधाई इस लाजवाब रचना के लिये
रचना जी ने बिलकुल सही बताया है ..पारिजात हरश्रृंगार के फूलों को ही कहते हैं ..
आप सभी का आभार...
वाह! सुंदर पोस्ट.
बहुत सुन्दर कविता....संगीता जी...सुबह सुबह रास्ते के किनारे,जमीन पर बिछे पारिजात की छोटी सी चादर पर रोज ही नज़र पड़ जाती है...अब आपकी कविता याद आ जाया करेगी..
मेरा email id है rashmeeravija26@gmail.com कृपया कुछ नया पोस्ट करें तो इत्तला कर दें...कई बार अच्छी रचनाएं पढने में बहुत देर हो जाती है..इस बार भी हो गयी...सॉरी
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है उम्दा रचना
wah!
sangeeta ji, mere blog par aane ke liye shukriyaa....aise he kripa karte rahiyega!!
aapki rachna bilkul khaabon ki duniyaa jaisi hai....
अद्भुत...उम्दा गीत. दिल को छूती हैं.
....................................
"शब्द-शिखर" पर इस बार अंडमान के आमों का आनंद लें.
DI bahut hi sundar ehsaas piroye hain aapne in panktiyun me
badhai
aashaaoN ka daaman thaame hue
mn ke halaat ka izhaar karti huee
kaamyaab rachnaa
b a d h a a e e
mukkamal ho gayee zindagi.... behad spasht aur sundar rachna !
वाह बहुत खूब ।
waah....aapki jholi paarijaat ke saath-sath kavita ke aise hi phoolon se hari-bhari rahe....!!
Its really beautiful !!!
bahut sunder rachna hai...
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