कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
11 comments:
Bahut sundar rachana..kam alfaaz,badee baat!
Holee kee anek shubhkamnayen!
आपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें
ऐसा आइना हमें भी दिलवा दें
sakaratmakta liye bhav mujhe bhate hai.........
acchee rachana............
holi kee shubhkamnae
gagar me sagar ki kahawat charithart ha gai
holi k is avsar par
karte hai ek ardaas
kshat -vikshat se
jo khaab hai..
rahe na ab khaab
puri ho har aarzoo..
har khushi ho
aapke paas.
आपको होली पर्व की घणी रामराम.
रामराम
Atyant bhavpurn aur prabhavi abhivyakti.
बहुत खूब सजने दीजिये उन्हें आराम से जब पूरी तरह से संवर जायेंगे तब बाहर निकालिएगा ,फिर कोई नजर नहीं बचा पायेगा.
aap cand shabdoM me itanee gaharee baat kah jaatee haiM bahut khoob| shubhakaamanaayeM
बहुत ही गहरे भावों के साथ सुन्दर अभिव्यक्ति ।
Is chhoti-si rachana me kya kuchh nahee kaha aapne...!
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