कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
एक बार फ़िर चित्र और शब्दों के चमत्कार! आपको नमस्कार!!! aaj manoj jee ke shavd cut paste kar rahee hoo usase acchee tipannee nahee likh patee. ati sunder
6 comments:
हम्म..... और बिना देखे-भाले कूदते हैं ख्वाब और गिरते हैं तपाक से और बहुत चोट लगती है ....गज़ब कि पंक्तियाँ हैं दी
बढ़िया अभिव्यक्ति....पर पूरे भी तो तभी होंगे...हाँ, खो भी जाते हैं,कूद कर
एक बार फ़िर चित्र और शब्दों के चमत्कार!
आपको नमस्कार!!!
एक बार फ़िर चित्र और शब्दों के चमत्कार!
आपको नमस्कार!!!
aaj manoj jee ke shavd cut paste kar rahee hoo usase acchee tipannee nahee likh patee.
ati sunder
बहुत सटीक और मार्मिक चित्रण किया है
ये पंडोरा बॉक्स क्या है????
सुच खाब कूद आते है???
Post a Comment