कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
15 comments:
ekdam sachchi baat...tabhi main ghungroo nahi pahanti bahut shor karte hain..
aapki ye lines bahut khoobsurat hai..me jara 2 line apni bhi mila du..aapki rachna ko ek nazm bana du..
maine likhi do line ab aage ki kadi tum mila do..
ghunghru bajne de..
khamoshi ko sunNe de..
mehfil me kya rakha hai..
tanha ko tanhayi se milne de.
rachna achchi lagi..........
बहुत ही बेहतरीन ।
सच कहा आपने...
महफ़िल में भी
तन्हाई होती है
वाह क्या सही कहा है गागर मे सागर शुभकामनायें
बहुत बढ़िया कम लफ़्ज़ों में पूरी बात कह दी है आपने शुक्रिया
क्या बात है संगीता जी.बहुत खूब.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें.
behad khoobsurat...bahut hi sundar...
Bahut bahut dhanyawaad itni sundar rachna ke liye
बेहतरीन कविता है।
सादर
ग़ज़ब की अभिव्यक्ति है....
सच भीड मे भी अकेला ही होता है इंसान्……………गागर मे सागर भर दिया।
घुँघरू करते ही हैं शोर ...फिर ख़ामोशी के ही क्यों न हों ...!!
बहुत सुंदर बात ...और गहराई लिए हुए ...
ghunghroo ki tarah bajta hi raha hoon main:)
गहन भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
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