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ऐ ज़िन्दगी बता !

>> Wednesday, 3 March 2021

 



दरक गया है 

इस कदर दिल 
कि ऐ ज़िन्दगी 
बता कैसे मैं 
तेरा  ऐतबार करूँ ? 
अपनी ही सोचों में 
गुम है मन मेरा 
तो भला बता कि
मैं कैसे तुझसे 
प्यार करूँ ? 

37 comments:

ज्योति सिंह Wed Mar 03, 11:45:00 am  

बहुत खूब लिखा है संगीता जी,
प्रेम भरोसे पर निर्भर होता है , भरोसा टूटता है तो दिल भी टूट जाता है, फिर प्यार के लिए सोचना ही पड़ता है, बड़ी सहजता के साथ मन की बात कह गई आपकी ये खूबसूरत रचना , बधाई हो संगीता जी

जिज्ञासा सिंह Wed Mar 03, 11:49:00 am  

गुम है मन मेरा
तो भला बता कि
मैं कैसे तुझसे
प्यार करूँ ? ..सच प्यार करना इतना सरल नहीं होता..वो भी जिंदगी से , जो चौबीस घंटे आपके साथ रहती है .. बड़ा मुश्किल है..जिंदगी और प्यार का अफसाना ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) Wed Mar 03, 12:37:00 pm  

कम शब्दों को भी कितनी खूबसूरती से समझ लिया । आभार ज्योति ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) Wed Mar 03, 12:45:00 pm  

सहजता से मन को पढ़ लिया । शुक्रिया जिज्ञासा

Dr Varsha Singh Wed Mar 03, 04:39:00 pm  

छोटी किन्तु समुद्र सी गहरी कविता...

बहुत बधाई आदरणीया 🙏

Jyoti Dehliwal Thu Mar 04, 12:52:00 pm  

कम शब्दों में बहुत कुछ व्यक्त करती सुंदर रचना।

संगीता स्वरुप ( गीत ) Thu Mar 04, 04:12:00 pm  

ज्योति बहुत बहुत शुक्रिया

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Fri Mar 05, 05:29:00 am  

सुन्दर रचना। अन्तर्मन के शब्द।

जितेन्द्र माथुर Fri Mar 05, 09:53:00 am  

कम शब्दों में बड़ी बात ।

Kamini Sinha Fri Mar 05, 11:17:00 am  

टुटा दिल तो किसी से प्यार नहीं कर सकता,गहरी अभिव्यक्ति संगीता जी,सादर नमन आपको

शुभा Fri Mar 05, 12:09:00 pm  

वाह!संगीता जी ,चंद शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी आपनेंं ।

अनीता सैनी Fri Mar 05, 09:47:00 pm  

वाह!बहुत सुंदर सृजन।
सृजन

Dr (Miss) Sharad Singh Fri Mar 05, 09:52:00 pm  

बहुत ही ख़ूबसूरत पंक्तियां 🌹🙏🌹

shikha varshney Sat Mar 06, 07:43:00 pm  

जिंदगी कों प्यार करने के लिए दिल नहीं आदत चाहिए आजकल

संगीता स्वरुप ( गीत ) Sat Mar 06, 08:07:00 pm  

शरद जी , बहुत बहुत आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) Sat Mar 06, 08:08:00 pm  

अब ऐसी आदत कहाँ से लाऊँ जिसमें दिल शामिल न हो ।
शुक्रिया सलाह के लिए 😄😄

उषा किरण Sat Mar 06, 08:12:00 pm  

कितना अजीब है न ये दिल और जिन्दगी का रिश्ता...क्यूँ है ऐसा कि दिल के शीशे के दरकते ही जिंदगी में भी उदासीनता आ जाती है ...भावुक मन की कितनी मुश्किलें हैं...बहुत सुन्दर रचना 🌹

संगीता स्वरुप ( गीत ) Sat Mar 06, 08:29:00 pm  

शुक्रिया ,उषा जी ,
आप न आई होतीं तो हमारा दिल तो यूँ ही दरक जाता ।

Sudha Devrani Sun Jun 13, 03:30:00 pm  

जब प्यार और एतबार करने वाला दिल ही दरक गया तो मन भी गुमनामियों के पास सरक गया...
गहन भाव लिए सार्थक सृजन।

muhammad solehuddin Tue Dec 20, 11:20:00 am  

अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
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