कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
बहुत खूब लिखा है संगीता जी, प्रेम भरोसे पर निर्भर होता है , भरोसा टूटता है तो दिल भी टूट जाता है, फिर प्यार के लिए सोचना ही पड़ता है, बड़ी सहजता के साथ मन की बात कह गई आपकी ये खूबसूरत रचना , बधाई हो संगीता जी
गुम है मन मेरा तो भला बता कि मैं कैसे तुझसे प्यार करूँ ? ..सच प्यार करना इतना सरल नहीं होता..वो भी जिंदगी से , जो चौबीस घंटे आपके साथ रहती है .. बड़ा मुश्किल है..जिंदगी और प्यार का अफसाना ..
कितना अजीब है न ये दिल और जिन्दगी का रिश्ता...क्यूँ है ऐसा कि दिल के शीशे के दरकते ही जिंदगी में भी उदासीनता आ जाती है ...भावुक मन की कितनी मुश्किलें हैं...बहुत सुन्दर रचना 🌹
37 comments:
बहुत खूब लिखा है संगीता जी,
प्रेम भरोसे पर निर्भर होता है , भरोसा टूटता है तो दिल भी टूट जाता है, फिर प्यार के लिए सोचना ही पड़ता है, बड़ी सहजता के साथ मन की बात कह गई आपकी ये खूबसूरत रचना , बधाई हो संगीता जी
गुम है मन मेरा
तो भला बता कि
मैं कैसे तुझसे
प्यार करूँ ? ..सच प्यार करना इतना सरल नहीं होता..वो भी जिंदगी से , जो चौबीस घंटे आपके साथ रहती है .. बड़ा मुश्किल है..जिंदगी और प्यार का अफसाना ..
कम शब्दों को भी कितनी खूबसूरती से समझ लिया । आभार ज्योति ।
सहजता से मन को पढ़ लिया । शुक्रिया जिज्ञासा
आभार , यशोदा ।
छोटी किन्तु समुद्र सी गहरी कविता...
बहुत बधाई आदरणीया 🙏
कम शब्दों में बहुत कुछ व्यक्त करती सुंदर रचना।
वर्षा जी आभार ।
शुक्रिया
ज्योति बहुत बहुत शुक्रिया
सुन्दर अभिव्यक्ति।
bhavpoorna abhivyakti
सुन्दर रचना। अन्तर्मन के शब्द।
सुन्दर
कम शब्दों में बड़ी बात ।
आभार , शास्त्री जी ।
बहुत शुक्रिया
आभार , गोदियाल जी
शुक्रिया
आभार जितेंद्र जी
टुटा दिल तो किसी से प्यार नहीं कर सकता,गहरी अभिव्यक्ति संगीता जी,सादर नमन आपको
शुक्रिया कामिनी ।
वाह!संगीता जी ,चंद शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी आपनेंं ।
वाह!बहुत सुंदर सृजन।
सृजन
बहुत ही ख़ूबसूरत पंक्तियां 🌹🙏🌹
जिंदगी कों प्यार करने के लिए दिल नहीं आदत चाहिए आजकल
शुक्रिया शुभा ।
आभार गगन जी
शुक्रिया अनिता ।
शरद जी , बहुत बहुत आभार
अब ऐसी आदत कहाँ से लाऊँ जिसमें दिल शामिल न हो ।
शुक्रिया सलाह के लिए 😄😄
कितना अजीब है न ये दिल और जिन्दगी का रिश्ता...क्यूँ है ऐसा कि दिल के शीशे के दरकते ही जिंदगी में भी उदासीनता आ जाती है ...भावुक मन की कितनी मुश्किलें हैं...बहुत सुन्दर रचना 🌹
शुक्रिया ,उषा जी ,
आप न आई होतीं तो हमारा दिल तो यूँ ही दरक जाता ।
सुन्दर ।
आभार अमृता जी .
जब प्यार और एतबार करने वाला दिल ही दरक गया तो मन भी गुमनामियों के पास सरक गया...
गहन भाव लिए सार्थक सृजन।
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
greetings from malaysia
let's be friend
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